Thursday, October 23, 2008

टेडी


गुल की बात नहीं सारा गुलिस्तां रखते हैं
ज़ुबां से खामोश हैं और फूल बोलते हैं

8 comments:

Poonam Misra said...

सुंदर चित्र. पर यह क्या इस पेंटिंग के नीचे दो लाइन नहीं. आपकी चित्रकारी है बहुत मनभावनी !बधाई

Manuj Mehta said...

sundar chitrkari, bahut khoob.

महेन्द्र मिश्र said...

badhiya chitr or sundar chitrakari. badhai.

siddheshwar singh said...

अच्छा चित्र!
अच्छी पंक्ति!!

mera dil mere jazbaat....... said...

nice sketches n paintings ...keep up d gud work ...

Unknown said...

uper jo likha hai uske aaje mai jodna chahuga aydi aap ko acha na lage to chhama kare ge

jo pool kade te hai bo juba nahi kahte

Shruti said...

You are a very good painter :-)

Satish Chandra Satyarthi said...

बड़ी ख़ूबसूरत पेंटिंग करती हैं आप तो.
आपके उज्जवल भविष्य के लिए मेरी शुभकामनाएं.