Saturday, May 2, 2009

स्वप्न

5 comments:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

सुन्दर

P.N. Subramanian said...

नाक से सपना दिखा दिया. बहुत सुन्दर

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

का जी! आपने सपना नाक से दिखा दिया? ख़ैर सपने का क्या? ऊ तो बन्द आंख से भी दिखाई दे जाता है. फिर क्या है, कैसे भी दिखा दें.

Sanjay Grover said...

वही नाक के दो छेद
या कि वही ढाक के तीन पात:)

Anil Kumar said...

नाक को अनदेखा करके उसके पीछे दिमाग में चल रहे सपने के दर्शन अद्भुत हैं। एक आदमी हवा में तैरने का प्रयास कर रहा है। किसी की तस्वीर लटक रही है, शायद आदमी उसे याद कर रहा है। सूरज और पक्षी आजादी और उन्नति के सपनों का बोध करा रहे हैं। बहुत खूब!