Saturday, December 6, 2008

चेहरे का राज़


चेहरे में छुपा है कोई राज़
इंद्रियां भी बन गई साज़

10 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

वाधय यंत्रो को मिला कर सुन्दर रेखा चित्र बनाया है।्बधाई।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

wah..wah..wah..wah..sa..re..gaa..maa...paa.dhaa...nee....saa...saa..nee.....cheharaa bhee sangeet hee hai...agar bheetar sangeet...ho...!!

बबलू said...

इंद्रियां साज बन सकें तो जीवन में मधुर संगीत पैदा हो सकता है । आपकी कलम और तूलिका दोनों कमाल की है ।

Anonymous said...

सभी चित्र अच्छे लगे

Atul's said...

All ur articles r as beautiful as u.

Keep posting

राजीव करूणानिधि said...

आपके चित्र वाकई बढ़िया है.

Amit K Sagar said...

वाह! बहुत मासूम मगर क़यामत की हद!

Ambuj said...

अच्छा चित्र है |

http://jhankar.wordpress.com

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

आपके चित्र वाकई खूबसूरत हैं
बधाई

अविनाश वाचस्पति said...

राज छिपा है
इस चेहरे में

गहरा

जिस पर नहीं

है कोई पहरा

पर सुन
नहीं सकता

है बहरा।