Saturday, September 20, 2008

हैवानियत (मधुमती पत्रिका जुलाई 2009 में प्रकाशित)


खोज कर देखो इंसान मिलेगा
हैवानियत से तुम्हें कुछ न मिलेगा

3 comments:

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

कैसे मिलेगा इंसान, जमाने ने भीतर के इंसान को मरने पर मजबूर कर दिया है, एक बार नहीं, कदम-कदम पर भीतर के इंसान को मरना पड़ता है आजकल...!

सचिन मिश्रा said...

sach kaha aapne.

Udan Tashtari said...

दो पंक्तियों में पूरी दम है, बधाई.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.


डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!