अन्तर्मन की उड़ती कल्पनाएं ........
कैसे मिलेगा इंसान, जमाने ने भीतर के इंसान को मरने पर मजबूर कर दिया है, एक बार नहीं, कदम-कदम पर भीतर के इंसान को मरना पड़ता है आजकल...!
sach kaha aapne.
दो पंक्तियों में पूरी दम है, बधाई.वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
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3 comments:
कैसे मिलेगा इंसान, जमाने ने भीतर के इंसान को मरने पर मजबूर कर दिया है, एक बार नहीं, कदम-कदम पर भीतर के इंसान को मरना पड़ता है आजकल...!
sach kaha aapne.
दो पंक्तियों में पूरी दम है, बधाई.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
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